जीवन में नहीं पी शराब, लेकिन लिख डाली मधुशाला
सियासी गहमागहमी में याद आती है. बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर, मेल कराती मधुशाला! 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद में हिन्दी साहित्य के एक ऐसे दिवाकर का जन्म हुआ,.. जो ताउम्र अपनी कलम से दुनिया को रौशन करते रहे.'
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